" कुर्सी" बिकती है,
खेल "बिकता है ,
" कुर्सी" बिकती है,
येहाँ "शहीदों" का मकान बिकता है !
दाल रोटी महँगी .सस्ता है जमीर
फाईलों की हर चाल पर , लोगों का ईमान बिकता है.!
सड़ता अनाज , बनती मूर्तियाँ, गायब स्कूल ,
नदारद दवाएं , सूखे नलकूप ,
किन किन घोटालों की चर्चा करोगे ए अहले-वतन ;
राजनीती की दुकान में तो पूरा हिंदुस्तान बिकता है