किसका ये समाज है ,किसका ये लिहाज़ है
Poems Have Always played an vital Role in the society and Revolutions, Doesn't matter in which era or century you are, they are always too close to us and always have inspired and have shown the reality of our Country and society.
कविताओ का भारतीय संस्कृति और इतिहास में एक बड़ा योगदान रहा है चाहे वोह कोई भी युग हो या कोई भी सदी,हाँ कविताओ का स्वरुप और बोलियों में थोडा फर्क आया मगर इन कविताओ ने हमे हमेसा प्रेरणा दी और हमारे देश और समाज का सच हमारे सामने रखा है|
Disclaimer-The Poem Is taken from an facebook page and We have not written it.
किसका ये समाज है
किसका ये लिहाज़ है
भूख़ जिससे मिट रही है
किसका वो अनाज है
घुट रही हैं बेटियां
लुट रही हैं पेटियां
नंगी आँखें पूछती हैं
ख़बर किसका आज है
अख़बार जैसी झुक गयी है
रीढ़ की हड्डी हमारी
existence के नाम पर, बच गयें बस
लटकते कन्धे
झूलते तोंद
माया, मोह और दुनियादारी
घुट रही हैं बेटियां - घर 'तुम्हारे ही'
लुट रही हैं पेटियां - घर 'तुम्हारे ही'
बड़ी बड़ी बातें किताबी, अब तुम्हारी
खा रहे हैं, दीमकों सी
मंत्र को, यन्त्र को
पूरे इस लोकतंत्र को
किसका ये समाज है
किसका ये लिहाज़ है
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कविताओ का भारतीय संस्कृति और इतिहास में एक बड़ा योगदान रहा है चाहे वोह कोई भी युग हो या कोई भी सदी,हाँ कविताओ का स्वरुप और बोलियों में थोडा फर्क आया मगर इन कविताओ ने हमे हमेसा प्रेरणा दी और हमारे देश और समाज का सच हमारे सामने रखा है|
Disclaimer-The Poem Is taken from an facebook page and We have not written it.
किसका ये समाज है
किसका ये लिहाज़ है
भूख़ जिससे मिट रही है
किसका वो अनाज है
घुट रही हैं बेटियां
लुट रही हैं पेटियां
नंगी आँखें पूछती हैं
ख़बर किसका आज है
अख़बार जैसी झुक गयी है
रीढ़ की हड्डी हमारी
existence के नाम पर, बच गयें बस
लटकते कन्धे
झूलते तोंद
माया, मोह और दुनियादारी
घुट रही हैं बेटियां - घर 'तुम्हारे ही'
लुट रही हैं पेटियां - घर 'तुम्हारे ही'
बड़ी बड़ी बातें किताबी, अब तुम्हारी
खा रहे हैं, दीमकों सी
मंत्र को, यन्त्र को
पूरे इस लोकतंत्र को
किसका ये समाज है
किसका ये लिहाज़ है